��ीड्स (उच्चारित/ˈliːdz/ ( सुनें)) इंग्लैंड के वेस्ट यॉर्कशायर का एक शहर और महानगरीय प्रशासनिक प्रभाग है। 2001 में लीड्स के मुख्य शहरी उपखंड की आबादी 443,247 थी जबकि पूरे शहर की जनसंख्या 723,100 (२००८ अनु.) थी। लीड्स वेस्ट यॉर्कशायर शहरी क्षेत्र का सांस्कृतिक, आर्थिक और व्यावसायिक केंद्र है जिसकी जनसंख्या 2001 की जनगणना में 1.5 मिलियन थी और लीड्स का शहरी क्षेत्र जिसके महत्वपूर्ण भाग में लीड्स का एक आर्थिक क्षेत्र शामिल है, इसकी जनसंख्या 2.9 मिलियन थी। लीड्स व्यवसाय, कानूनी एवं वित्तीय सेवाओं के लिए लंदन के बाहर ब्रिटेन का सबसे बड़ा केंद्र है।ऐतिहासिक रूप से लीड्स यॉर्कशायर की वेस्ट राइडिंग का एक भाग है जिसके इतिहास का विवरण पांचवीं सदी में दर्ज पाया जा सकता है जब एल्मेट का साम्राज्य "लोइडिस" के वनों से घिरा हुआ था, जिससे लीड्स नाम की उत्पत्ति हुई है। इस नाम का प्रयोग सदियों से कई प्रशासनिक संस्थाओं के लिए किया जा रहा है। इसका नाम 13वीं सदी में एक छोटे से जागीर संबंधी नगर से कई स्वरूपों में बदलते हुए वर्तमान महानगरीय प्रशासनिक प्रभाग से जुड़े नाम के रूप में रूपांतरित हुआ है। 17वीं और 18वीं सदियों में लीड्स ऊन के उत्पादन और व्यापार का एक प्रमुख केंद्र बन गया था। फिर औद्योगिक क्रांति के दौरान लीड्स एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ; ऊन अभी भी एक प्रमुख उद्योग था लेकिन पटसन, इंजीनियरिंग, लोहे की ढलाई, छपाई और अन्य उद्योग महत्वपूर्ण थे। 16वीं सदी में आयरे नदी की घाटी में एक संक्षिप्त बाजार शहर से लीड्स का विस्तार आसपास के गांवों को अपने अंदर समाहित करते हुए 20वीं सदी के मध्य तक एक घनी आबादी वाले शहरी केंद्र के रूप में हो गया।
इस क्षेत्र में सार्वजनिक परिवहन, रेल और सड़क के संचार नेटवर्क लीड्स को केंद्रित कर बनाए गए हैं और अन्य देशों के नगरों एवं शहरों के साथ जोड़ने की कई व्यवस्थाएं की गयी हैं। लीड्स के शहरी क्षेत्र की भागीदारी में इसकी सौंपी गयी भूमिका क्षेत्रीय आर्थिक विकास के लिए शहर के महत्त्व को पहचान दिलाती है।
स्रोत: Wikipedia
Varanasi
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जानकारी
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��ह लेख वाराणसी (बनारस) शहर के लिये है। काशी हेतु देखें काशी
वाराणसी (अंग्रेज़ी: Vārāṇasī, हिन्दुस्तानी उच्चारण: [ʋaːˈɾaːɳəsiː] ( सुनें)) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रसिद्ध नगर है। इसे 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में एक पवित्र नगर माना गया है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी यह एक महत्वपूर्ण शहर है। यह संसार के प्राचीन बसे शहरों में से एक है।काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था।वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है।प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।"
स्रोत: Wikipedia