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��डन (अंग्रेज़ी: Eden) या ख़ुल्द (अरबी: خلد‎) कई इब्राहीमी धर्मों (जैसे की ईसाई धर्म और इस्लाम) की मान्यताओं में वह जगह थी जहाँ ईश्वर ने पहले पुरुष (आदम) और पहली स्त्री (हव्वा या ईव) की सृष्टि के बाद उन्हें रखा था। इसे इन धर्मों की धर्मकथाओं में एक सौंदर्य और शांति से भरे उद्यान के रूप में दर्शाया जाता है जहाँ यह दोनों निर्दोष और निष्कपट चरित्र से रहते थे। ईसाई मान्यता के अनुसार, अपनी आज्ञा का उल्लंघन करने के लिए इन दोनों को पापी ठहराकर उन्हें ईश्वर ने इस उद्यान से बहार निकल दिया था। ईसाई मत की बहुत सी धारणाएँ इस मूल पाप पर आधारित हैं।

स्रोत: Wikipedia

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��ह लेख वाराणसी (बनारस) शहर के लिये है। काशी हेतु देखें काशी वाराणसी (अंग्रेज़ी: Vārāṇasī, हिन्दुस्तानी उच्चारण: [ʋaːˈɾaːɳəsiː] ( सुनें)) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रसिद्ध नगर है। इसे 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में एक पवित्र नगर माना गया है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी यह एक महत्वपूर्ण शहर है। यह संसार के प्राचीन बसे शहरों में से एक है।काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था।वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है।प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।"

स्रोत: Wikipedia

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