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दोहा अर्द्धसम मात्रिक छंद है। यह दो पंक्ति का होता है इसमें चार चरण माने जाते हैं | इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के आदि में प्राय: जगण (।ऽ।) टालते है, लेकिन इस की आवश्यकता नहीं है। 'बड़ा हुआ तो' पंक्ति का आरम्भ ज-गण से ही होता है। सम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है अर्थात अन्त में लघु होता है। उदाहरण- बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं, फल लागैं अति दूर।। मुरली वाले मोहना, मुरली नेक बजाय। तेरी मुरली मन हरे, घर अँगना न सुहाय॥हेमचन्द्र के मतानुसार दोहा-छन्द के लक्षण हैं - समे द्वादश ओजे चतुर्दश दोहक: समपाद के अन्तिम स्थान पर स्थित लघु वर्ण को हेमचन्द्र गुरु-वर्ण का मापन देता है.



'अत्र समपादान्ते गुरुद्वयमित्याम्नाय:' यह सूत्र विषद किया है। मम तावन्मतमेतदिह - किमपि यदस्ति तदस्तु रमणीभ्यो रमणीयतरमन्यत् किमपि न अस्तु

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न्तर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU; फ़्रेंच: Union internationale des télécommunications, स्पेनिश: Unión Internacional de Telecomunicaciones, चीनी भाषा: 国际电信联盟; रूसी:Международный союз электросвязи; अरबी:الاتحاد الدولي للاتصالات) एक अन्तर्राष्ट्रीय संगथन है। यह अन्तर्राष्ट्रीय रेडियो और दूरसंचार को नियमित और मानकीकृत करने हेतु स्थापित हुई थी। इसकी स्थापना पैरिस में 17 मई, सन 1865 में संघ रूप में हुई थी। इसके मुख्य कार्यों में आते हैं: रेडियो वर्णक्रम का मानकी करण रेडियो वर्णक्रम का नियतन, विभिन्न देशों के बीच अन्तर्सम्बन्ध प्रबंधन, जिससे अन्तर्राष्ट्रीय फ़ोन कालों की अनुमति दी जा सके।

स्रोत: Wikipedia

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