शदोद (हिब्रू: אַשְׁדּוֹד; अरबी: أشدود), इज़राइल का छठा सबसे बड़ा शहर और सबसे बड़ा बंदरगाह है, जहां देश का 60% आयातित माल आता है। अशदोद देश के दक्षिणी जिले में भूमध्यसागरीय तट पर स्थित है, जहाँ यह तेल अवीव से उत्तर 32 किलोमीटर (20 मील) दूर, और अश्कलोन से दक्षिण 20 कि॰मी॰ (12 मील) के बीच स्थित है। जेरूसलम पूर्व की ओर 53 कि॰मी॰ (33 मील) दूर स्थित है। शहर एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय औद्योगिक केंद्र भी है।
आधुनिक अशदोद दो प्राचीन जुड़वां शहरों, एक अंतर्देशीय और दूसरा तटीय क्षेत्र को सम्मिलित किये हुए है, जो कि अधिकांश इतिहास में दो अलग-अलग आस्तित्व थे, और एक दूसरे के साथ घनिष्ठ संबंधों से जुड़े हुए थे। यह लेख इन ऐतिहासिक कस्बों से संबंधित है, जिसमें आस-पास के अन्य प्राचीन स्थल और आधुनिक अशदोद शामिल हैं।
अशदोद का नाम पहली बार शहरी बस्ती के रूप में, 17वीं शताब्दी ईसा पूर्व के कैनानाइट संस्कृति के दस्तावेज में मिलता है। बाइबिल में 13 बार अशदोद का उल्लेख हुआ है। अपने 1956 के पूर्व के इतिहास के दौरान इस शहर में पलिश्ती, इस्राएलियों, अलेक्जेंडर के विजय अभियान के दौरान आने वाले यूनानी उपनिवेशों, रोमन और बाइज़ेंटाइन लोग, अरब, धर्मयोद्धाएँ, और उस्मानी तुर्कों आ कर बस चुके हैं।आधुनिक अशदोद 1956 में प्राचीन शहर के स्थल के पास की रेत की पहाड़ियों पर स्थापित किया गया था, और 1968 में एक शहर के रूप में शामिल किया गया था, जिसका क्षेत्रफल लगभग 60 वर्ग किलोमीटर (23 वर्ग मील) है। एक नियोजित शहर होने के नाते, विस्तार ने एक मुख्य विकास योजना का पालन किया, जिसने आबादी बढ़ने के बावजूद आवासीय क्षेत्रों में यातायात की सुविधा प्रदान की और वायु प्रदूषण को रोका। इज़राइल सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, अशदोद की जनसंख्या 2018 में 224,628 थी।अशदोद आज इसराइल में सबसे बड़े मोरक्कन यहूदी समुदाय, इसराइल में सबसे बड़े कराटे यहूदी समुदाय, और दुनिया में सबसे बड़ा जॉर्जियाई यहूदी समुदाय का घर हैं।
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Everest
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जानकारी
वरेस्ट पर्वत (नेपाली: सगरमाथा, संस्कृत: देवगिरि) दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है, जिसकी ऊँचाई 8,848.८६ मीटर है। सन् ८ डिसेम्बेर २०२० तक जिसकी ऊँचाई 8,848 मीटर मानिया था। यह हिमालय का हिस्सा है। पहले इसे XV के नाम से जाना जाता था। माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई उस समय 29,002 फीट या 8,840 मीटर मापी गई थी। वैज्ञानिक सर्वेक्षणों में कहा जाता है कि इसकी ऊंचाई प्रतिवर्ष 2 से॰मी॰ के हिसाब से बढ़ रही है। नेपाल में इसे स्थानीय लोग सगरमाथा (अर्थात स्वर्ग का शीर्ष) नाम से जानते हैं, जो नाम नेपाल के इतिहासविद बाबुराम आचार्य ने सन् 1930 के दशक में रखा था - आकाश का भाल। तिब्बत में इसे सदियों से चोमोलंगमा अर्थात पर्वतों की रानी के नाम से जाना जाता है।सर्वे ऑफ नेपाल द्वारा प्रकाशित, (1:50,000 के स्केल पर 57 मैप सेट में से 50वां मैप) “फर्स्ट जॉईन्ट इन्सपेक्सन सर्वे सन् 1979-80, नेपाल-चीन सीमा के मुख्य पाठ्य के साथ अटैच” पृष्ठ पर ऊपर की ओर बीच में, लिखा है, सीमा रेखा, की पहचान की गई है जो चीन और नेपाल को अलग करते हैं, जो ठीक शिखर से होकर गुजरता है। यह यहाँ सीमा का काम करता है और चीन-नेपाल सीमा पर मुख्य हिमालयी जलसंभर विभाजित होकर दोनो तरफ बहता है।
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